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यः शर्धते नानुददाति शुध्यां दस्योर्हन्ता स जनास इन्द्रः।
‘‘जो मनुष्य अहंकारी के अहंकार को दमन करता है और जो दस्युओं को मारता है वही इन्द्र है।’’
यो जाभ्या अमेथ्यस्तधत्सखायं दुधूर्षति।
ज्योष्ठो पदप्रचेतास्तदाहु रद्यतिगति।
‘‘जो मनुष्य दूसरी स्त्री को गिराता है, जो मित्र की हानि पहुंचाता है जो वरिष्ठ होकर भी अज्ञानी है उसको पतित कहते हैं।’’
एक बात निश्चित है कि जैसा आदमी अपना संकल्प धारण करता है उतनी ही उसकी देह और और मन में शक्ति का निर्माण होता है। जब कोई आदमी केवल अपने परिवार तथा स्वयं के पालन पोषण तक ही अपने जीवन का ध्येय रखता है तब उसकी क्षमता सीमित रह जाती है पर जब आदमी सामूहिक हित में चिंत्तन करता है तब उसकी शक्ति का विस्तार भी होता है। शक्तिशाली व्यक्ति वह है जो दूसरे के अहंकार को सहन न कर उसकी उपेक्षा करने के साथ दमन भी करता है। समाज को कष्ट देने वालों का दंडित कर व्यवस्था कायम करता है। ऐसी मनुष्य स्वयं ही देवराज इंद्र की तरह है जो समाज के लिये काम करता है। शक्तिशाली मनुष्य होने का प्रमाण यही है कि आप दूसरे की रक्षा किस हद तक कर सकते हैं।
athor and editor-Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”,Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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