चमत्कार को नमस्कार-हिन्दी हास्य कविताएँ (chamatkar ko namaskar-hindi hasya kavitaen


पहुंचे लोगों के चमत्कारों से
मुर्दों में जान फूंकने के किस्से
बहुत सुने हैं
पर देखा एक भी नहीं हैं,
जमाने में फरिश्ते की तरह पुज रहे
कई शातिर लोग बरसों से
मगर कोई मुर्दा उनके सच का
सबूत देने आते देखा नहीं है।
अक्ल इंसानों में ज्यादा है
फिर भी फँसता है वहमों के जाल में
जहां देखता है फायदे का दाव
सोचना बंद कर
झूठे ख्वाब सजाता वहीं है।
————–
एक सिद्ध के दरवाजे कुत्ता खड़ा था
शागिर्द ने उसे पत्थर मारकर भगा दिया।
तब सिद्ध ने उससे कहा
“तुमने अच्छा किया
कुत्ते को हटाकर
क्योंकि कोई भी जानवर
चमत्कारों पर यकीन नहीं करता,
इसलिए फिर ज़िंदा नहीं होता
अगर एक बार मरता,
उनमें अक्ल नहीं होती
जिससे हम उसे बहका सकें,
उसकी आँखों के सामने
पर्दे के पीछे सच को ढँक सकें,
सर्वशक्तिमान भी सोचता होगा
मैंने जानवरों को इंसानों से कमतर क्यों किया,
अक्ल देते समय उनका हिस्सा इंसान को दिया।
——————
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior

http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

८.हिन्दी सरिता पत्रिका

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