प्रेम पंथ ऐसी कठिन, सब कोउ निबहत नाहिं
रहिमन मैन-तुरगि बढि, चलियो पावक माहिं
रहिमन मैन-तुरगि बढि, चलियो पावक माहिं
कविवर रहीम कहते हैं कि प्रेम का मार्ग ऐसा दुर्गम हे कि सब लोग इस पर नहीं चल सकते। इसमें वासना के घोड़े पर सवाल होकर आग के बीच से गुजरना होता है।
फरजी सह न ह्म सकै गति टेढ़ी तासीर
रहिमन सीधे चालसौं, प्यादा होत वजीर
रहिमन सीधे चालसौं, प्यादा होत वजीर
कविवर रहीम कहते हैं कि प्रेम में कभी भी टेढ़ी चाल नहीं चली जाती। जिस तरह शतरंज के खेल में पैदल सीधी चलकर वजीर बन जाता है वैसे ही अगर किसी व्यक्ति से सीधा और सरल व्यवहार किया जाये तो उसका दिल जीता जा सकता है।
आज के संदर्भ में व्याख्या-आजकल जिस तरह सब जगह प्रेम का गुणगान होता है वह केवल बाजार की ही देन है जो युवक-युवतियों को आकर्षित करने तक ही केंद्रित है। उसे प्रेम में केवल वासना है और कुछ नहीं है। सच्चा प्रेम किसी से कुछ मांगता नहीं है बल्कि उसमें त्याग किया जाता है। सच्चे प्रेम पर चलना हर किसी के बस की बात नहीं है। प्रेम में कुछ पाने का आकर्षण होतो वह प्रेम कहां रह जाता है। सच तो यह है कि लोग प्रेम का दिखावा करते हैं पर उनके मन में लालच और लोभ भरा रहता है। लोग दूसरे का प्यार पाने के लिये चालाकियां करते हैं जो कि एक धोखा होता है।
आजकल हम देख रहे हैं कि प्रेम के नाम पर अनेक लोग धोखे का शिकार हो रहे हैं। दरअसल फिल्म और टीवी चैनलों पर आज के युवक और युवतियों की यौन भावनाओं को भड़काया जा रहा है। अनेक ऐसी बेसिर पैर की कहानियां दिखाई जाती हैं जिनका यथार्थ के धरातल पर कोई आधार नहीं मिलता। केवल शादी तक तक ही लिखी गयी कहानियां गृहस्थी के यथार्थो का विस्तार नहीं दिखाती। इनको देखकर युवक युवतियां प्यार की कल्पना तो करते हैं पर उसके बाद का सच उनके सामने तभी आता है जब वह गल्तियां कर चुके होते हैं।
इतना ही नहीं कई प्रेम कहानियों में तो लड़कों को छल कपट से लड़कियों को अपने प्यार के जाल मेें फंसाते हुए दिखाया जाता है। इन कहानियों के दृश्य देखकर अनेक युवक युवतियां भ्रमित होकर उसी राह पर चलते है। इस तरह के प्रचार को समझने की जरूरत है।
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संकलक, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
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sitaram ahir
pipli ahiran
rajsamnd
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